ज्योतिष :नव वर्ष -2022 की कुंडली में क्या है?

ज्योतिष :नव वर्ष -2022 की कुंडली में क्या है?

*ज्योतिषाचार्य आचार्य राधाकान्त शास्त्री*

*पौष कृष्ण चतुर्दशी मास शिवरात्रि, शनिवार ज्येष्ठा नक्षत्र गण्ड योग विष्टि एवं शकुनि करण धनु राशि के सूर्य, वृश्चिक राशि के चन्द्र में आंग्ल नववर्ष 2022 के आरम्भ होने से नववर्ष 2022 की कुंडली में ग्रहों की स्थिति भारी उलटफेर के संकेत दे रही है।  हालांकि, व्यापार में सुधार और महंगाई में राहत मिलने की उम्मीद है। ज्योतिष के अनुसार, नये साल की कुंडली में काल सर्प दोष विद्यमान है, जो बड़ी चिंता का विषय है। इस दोष के वजह से राजनीतिक दलों में आपसी टकराव बढ़ेगा। राजनीति दल देश एवं देशवासियों के हितों के बजाय अपने-अपने हित साधने में अत्यधिक लगे रहेंगे।* 

*नव वर्ष की जन्म कुंडली में कन्या लग्न है। और तृतीय भाव में मंगल , चन्द्रमा , केतु , चतुर्थ भाव में  सूर्य , शुक्र, पंचम भाव में बुध , शनि , षष्ठम भाव में गुरु और नवम भाव में राहु स्थिति है।  ग्रहों की इस स्थिति के हिसाब से नये साल की कुंडली में ग्रहण योग के साथ कालसर्प दोष बन रहा है। और देश के लिए ग्रहों की ये चाल शुभ नहीं मानी जा रही है।* 

*इसके अलावा शत्रु देश अवसर को देख किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं, जिससे आमजन को भय एवं चिन्ता हो सकती है। आर्थिक दृष्टि से पिछले साल की अपेक्षा बेहतर रहेगा। कोरोना महामारी की वजह से जो व्यवस्थाएं गड़बड़ाईं थीं, उनमें इस साल राहत मिलने की पूरी उम्मीद है। साफ शब्दों में समझें तो पहले से हालात बेहतर होने की पूरी संभावना है। व्यापार में सुधार, रोग मुक्त, रोजगार के अवसर बढ़ेगे, मंहगाई कम होगी, वर्षा अच्छी होगी, लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।*

*विनाशकारी परमाणु विस्फोट हो सकता है जिससे जलवायु परिवर्तन होगा और धरती का मौसम बदल जाएगा। इससे कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। बाढ़, तूफान के साथ अन्य कई प्राकृतिक आपदा से भारी तबाही मचेगी।*

*समुद्र में भयंकर लहरें उठेंगी जो पृथ्वी को चारों तरफ से घेर लेंगी। इससे कई देशों के डूबने का खतरा है। वर्ष 2022 तबाही के बाद शांति लाएगा। अंधेरा, पहाड़ों पर बर्फ बारी और कई देशों के युद्ध की संभावना बन रही है।कंप्यूटर का ब्रेन मनुष्यों पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाएगा।* 

 *राजनैतिक उपद्रव एवं आंतरिक विघटन की संभावना रहेगी।*

*नव वर्ष में जनवरी के मध्यकाल से मंगल शेयर बाजार में तेजी, राजनीति में विद्वेष पूर्ण भाव का सृजन कारक है। जिसमे छत्र भंग, सत्ता परिवर्तन के योग बन रहे हैं। किसी दैविक प्राकृतिक दुर्घटना से धन जन को हानि पहुचने के भी योग बन रहे हैं। उपरोक्त योग में अंग्रेजी नववर्ष का आरम्भ होना देश काल के लिए अशुभ सूचक है। और मूल नक्षत्र के मंगल ब्राह्मण एवं क्षत्रिय के लोगों के लिए पीड़ा कारक है। आगे कुम्भ संक्रांति भय कारक एवं विग्रहकारी है। देश के सम्मुख कई कठिन परिस्थितियां खड़ी हो सकती हैं।*


*विषम परिस्थिति से निवारण के लिए स्वक्षता, आत्म संयम एवं समदर्शी भाव सूर्य उपासना एवं श्री कृष्ण की भक्ति हर पल सहायक एवं शक्ति दायक होगा।*

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*हरि ॐ गुरुदेव..!* 

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