रूद्र महायज्ञ पहाड़ी तेलगामा के तलहटी में इन दिनों ज्ञान की गंगा बह रही है

रूद्र महायज्ञ पहाड़ी तेलगामा के तलहटी में इन दिनों ज्ञान की गंगा बह रही है

शंभूगंज (बांका): थाना क्षेत्र के पहाड़ी तेलगामा के तलहटी में इन दिनों ज्ञान की गंगा बह रही है  रूद्र महायज्ञ के आठवें दिन काशी से आए कथावाचक क्रांतिकारी नागा बाबा ने सीता स्व्यंवर की कथा सुना श्रोताओं को भाव - विभोर कर दिया उन्होंने कहा कि राम - सीता का विवाह प्रेम ,आदर्श,समर्पण और मूल्यों को प्रदर्शित करता है जब जनकपुरी में अकाल पड़ा था तो राजा जनक ने स्वयं हाथों में हल थाम लिया धरती से सीता की उत्पत्ती हुई बालपन में सीता ने शिव का धनुष उठा लिया  फिर किसी प्रकार का अनिष्ट न हो जाए , जनक ने धनुष को महर्षि परशुराम के समक्ष नेम - निष्ठा के साथ स्थापित किया उसी क्षण जनक ने प्रण लिया कि जो भी मानव इस धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देगा , उसी से पुत्री सीता का विवाह करेंगे राजा जनक ने उचित समय जान सीता स्व्यंवर की घोषणा कर दी स्वंयंवर में कई देशों के राजा-महाराजाओं का जुटान हुआ वहीं राम के साथ लक्ष्मण भी आए  जब सभी राजा - महाराजा धनुष को उठाने की बात तो दूर हिला भी नहीं सके तो गुरू वशिष्ट की आज्ञा से राम ने सिर्फ धनुष ही नहीं उठाया/,बल्कि प्रत्यंचा चढ़ाते ही टूट गया कथावाचक ने बताया कि राम सीता विवाह के बाद दोनों का सुखद दांपत्य जीवन दुख में परिवर्तित हो गया अयोध्या का राज छोड़ वन जाना पड़ा वन में 14 वर्षों तक रहने के बाद जब अयोध्या लौटे तो राम - सीता का विरह हुआ  गर्भवती सीता अयोध्या को छोड़ महर्षि वाल्मिकी का आश्रम में रहने लगी राम - सीता विवाह प्रेम , समर्पण , त्याग और बलिदान की एक अमिट कथा है कथा के बीच - बीच में आचार्य पारस के भजन पर श्रोता झूमने पर विवश हैं कथा की सफलता में गुलनी पंचायत के तमाम लोग सक्रिय हैं ।

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