मधुआ बिमारी से धान के फसल को हो रहा भारी नुक़सान , किसानों में मायुसी -रासायनिक दवा का असर भी नहीं आया काम

मधुआ बिमारी से धान के फसल को हो रहा भारी नुक़सान , किसानों में मायुसी -रासायनिक दवा का असर भी नहीं आया काम

तारापुर / मुंगेर / जिले भर में धान का सबसे बड़ा क्षेत्र कहे जाने वाले तारापुर अनुमंडल के लौना, खैरा,मझगांय ,बढौनिया गोविंदपुर दीदारगंज इत्यादि क्षेत्रों में धान की बाली से मधुआ बीमारी लगने के कारण बाली खेतों में ही गिरकर पूरी तरह से बर्बाद होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गौरतलब है कि शुरुआती दौर से ही अधिक मानसून के कारण कई तरह की बीमारी धान में लगने की बातें सामने आ रही है । बताया जा रहा है कि धान कटनी से पहले ही क्षेत्र के बड़े भूभाग में किसान जब तक कुछ समझ पाते कि देखते ही देखते मधुआ बीमारी ने अपना पांव इस तरह तेजी से पसारा की हजारों हेक्टेयर में पका धान की बाली मधुवा बीमारी का शिकार होकर खेतों में ही गिरकर पूरी तरह से बर्बाद होने लगा है ।बताया गया कि मधुआ बीमारी से बचाव के लिए डायथेन एम 45 रसायनिक दवा का छिड़काव भी तेजी से किया गया था लेकिन इसका असर मधुआ कीट पर जरा भी नहीं पड़ा । किसानों ने बताया कि खेत जुताई, रोपाई, बीज, सोहनी ,रसायनिक यूरिया खाद, पानी, इत्यादि मद में जो पूंजी लगा वह भी निकलना मुश्किल भरा दिख रहा है । 
 किसानों द्वारा खेतों में अधिक रसायनिक यूरिया खाद का उपयोग करने के कारण ही मधुआ रोग लगता है । आगे बताया कि रसायनिक यूरिया खाद खेतों में पड़ते ही धान अधिक घना हो जाता है । जिसके कारण धूप धान की जड़ तक नहीं पहुंच पाता है । ऐसी स्थिति में मधुआ बीमारी के साथ-साथ कई अन्य रोग लगने की संभावना बन जाती है।

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