चम्पारण नीति/ बेतिया/पश्चिमी चम्पारण :- खेती से अतिरिक्त आमदनी कैसे प्राप्त हो इसके लिए आवश्यक है की किसान भाई अपने खेतों में मुख्य फसल के साथ अंतर्वत्ति फसल के रूप में उपयुक्त फसलों का चयन करें ताकि उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सके।

कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों के लिए एक बेहतर अंतर्वत्ति फसल के रूप में केला के साथ सब्जी मटर, पालक एवं मूली लगाया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदर्शन के माध्यम से किसान भाइयों को जानकारी देना है ।डॉ सिंह ने बताया कि सब्जी मटर दलहनी फसल के अंतर्गत आने से वह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को खेत में एकत्रित करने का काम राइजोबियम नमक कवक के माध्यम से करती है, जिससे मुख्य फसल में नाइट्रोजन की 15 से 20% मात्रा को कम देकर फसल को उगाया जा सकता है साथ ही साथ अंतर्वत्ति फसले खेत को पलवार के रूप में ढके रहती हैं जिससे नमी संरक्षित होने के साथ-साथ खरपतवार भी नहीं उगता है तथा भूमि की उर्वरता में वृद्धि होती है एवं मिट्टी में सूक्ष्म जलवायु का निर्माण होता हैं जो पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए बहुत ही आवश्यक होता है अगर किसान भाई इस तकनीक को अपनाकर खेती करते हैं तो उन्हें 20 से 30% अतिरिक्त आमदनी के साथ-साथ खेती के लागत में भी कमी आएगी और टिकाऊ खेती की तरफ अग्रसर होने में सफलता मिलेगी जो आज के बदलते जलवायु के परिपेक्ष में आवश्यक है इस अवसर पर केंद्र के पौध संरक्षण के वैज्ञानिक डॉ सौरभ दुबे ने बताया कि मुख्य फसल के उत्पादन के पहले सहायक फसल से आमदनी प्राप्त करके किसान भाई खुशहाल हो सकते हैं। डॉ हर्षा वैज्ञानिक पौध उत्पादन ने बताया कि एकल फसल की खेती करने से खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में कमी होती जा रही है जिससे नमी संरक्षण नहीं हो पा रहा है और मिट्टी की सेहत खराब होते जा रही है इसके लिए यह तकनीक बेहतर विकल्प के रूप में है।

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