रजौन,बांका : - तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध स्थानीय दीपनारायण सिंह महाविद्यालय भूसिया रजौन में की गई कथित असंवैधानिक बहाली को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद यहां थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार जारी है। एक ओर महाविद्यालय प्रशासन जहां कथित असंवैधानिक तरीके से हुई इस बहाली प्रक्रिया पर लीपापोती करने में लगी हुई है, तो वहीं दूसरी ओर महाविद्यालय के तृतीय वर्गीय कर्मचारी कन्हैया लाल सिंह भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व उत्पन्न हुए इस विवाद को आदर्श आचार संहिता एवं महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा मिले आश्वासन ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई न होता देख महाविद्यालय के तृतीय वर्गीय कर्मचारी कन्हैया लाल सिंह अपने कुछ समर्थकों के साथ सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं। वहीं इससे पूर्व उन्होंने विगत शनिवार (22 नवंबर) को इस असंवैधानिक बहाली के विरुद्ध अपनी आंदोलन को तेज करते हुए बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति के अलावे टीएमबीयू के कुलपति, बांका डीएम, एसडीओ, महाविद्यालय के सचिव, शिक्षाविद सदस्य एवं महाविद्यालय के प्राचार्य को अपनी मांगों से सम्बंधित प्रतिलिपि भेजकर संपूर्ण नियुक्ति प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच की मांग करने के साथ-साथ उन्होंने सोमवार से भूख हड़ताल पर जाने की भी बात कही थी। इधर सोमवार से महाविद्यालय परिसर में प्राचार्य कक्ष के आगे भूख हड़ताल पर बैठे कन्हैया लाल सिंह ने महाविद्यालय प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि महाविद्यालय में शासी निकाय की मिलीभगत से बगैर किसी समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित किए, बिना आरक्षण के नियमों का पालन किए तथा बहाली हेतु निर्धारित शैक्षणिक योग्यता एवं मानकों का पालन किए बगैर गुपचुप तरीके से संविदा पर विभिन्न शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों पर बहाली कर दी गई है। उन्होंने इस असंवैधानिक बहाली प्रक्रिया को तत्काल निरस्त कर पूर्ण पारदर्शी प्रक्रिया से योग्य व्यक्तियों की बहाली सुनिश्चित करने की मांग के साथ-साथ महाविद्यालय में सेवाकाल के दौरान निधन हुए कर्मियों के परिजनों व आश्रितों को अनुकंपा पर बहाली करने की मांग रखी है। इधर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. महेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि उनके द्वारा लगाए गए सारे आरोप गलत व बेबुनियाद हैं, शासी निकाय के निर्णय के बाद ही मात्र 11 माह के लिए यह बहाली की गई है। वहीं उन्होंने महाविद्यालय के तृतीय वर्गीय कर्मचारी कन्हैया लाल सिंह के भूख हड़ताल पर जाने की बात पर कहा कि विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ है, अब शासी निकाय के पुनर्गठन होने के बाद ही इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की कोई अंतिम निर्णय ली जा सकेगी।
रिपोर्ट : केआर राव
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