रजौन,बांका :- रजौन प्रखंड मुख्यालय परिसर में बुधवार को "जीवन (JIWAN) परियोजना" की एक प्रखंड स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ प्रखंड प्रमुख रूबी कुमारी, बीडीओ अंतिमा कुमारी, सीडीपीओ चंचला कुमारी, बीएओ अरविंद कुमार सिंह, रजौन सीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ब्रजेश कुमार, मनरेगा पीओ धर्मेंद्र कुमार सहित अन्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। बता दें कि समुदायों के सशक्तिकरण, आजीविका संवर्धन, बाल संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सक्रिय संस्था नीड्स द्वारा टाटा ट्रस्ट के सहयोग से संचालित इस जीवन परियोजना का मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों में आहार की गुणवत्ता, मात्रा एवं विविधता में सुधार लाने के साथ-साथ बच्चों के लिए एक स्वस्थ और पोषित भविष्य का निर्माण करना है। वहीं इस कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम नीड्स संस्था के डाटा मैनेजर उर्मी, रजौन व अमरपुर ब्लॉक कोऑर्डिनेटर उपासना, बाराहाट व धोरैया ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अंजली कुमारी, फील्ड कोऑर्डिनेटर्स चंदन वर्मा के अलावे संस्था के रंजीत कुमार सिन्हा, अंकित कश्यप, अमन राज सहित अन्य ने बारी-बारी से संबोधित किया, जिन्होंने नीड्स संस्था द्वारा संचालित जीवन परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों की जानकारी देने के साथ-साथ समुदाय और विभागों के बीच सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की तथा परियोजना के प्रमुख घटकों - MIYCN प्रशिक्षण, न्यूट्री गार्डन की स्थापना, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का क्षमता निर्माण तथा परिवार आधारित पोषण परामर्श की विस्तृत जानकारी साझा की। इस दौरान रजौन एवं अमरपुर ब्लॉक कोऑर्डिनेटर उपासना ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रखंड के खिड्डी गांव में पोषण वाटिका का केंद्र बनाया गया है, जो पूर्ण रूपेण जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट युक्त किचन गार्डन का निर्माण किया गया है। वहीं इसके बाद सभी आगत अतिथियों ने परियोजना के उद्देश्यों की सराहाना करते हुए इसे समुदाय हित में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। वहीं रजौन प्रखंड प्रमुख रूबी कुमारी ने अपने संबोधन में कहा कि जीवन परियोजना बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन इसके लिए विभागीय समन्वय तथा सामुदायिक भागीदारी महत्वपूर्ण है। प्रमुख रूबी कुमारी ने आगे कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर अगर सही तरीके से पोषण युक्त पोषाहार मिले तो बच्चों को कुपोषण से दूर किया जा सकता है, क्योंकि घर पर मां की देखरेख के बाद बच्चा आंगनबाड़ी केंद्र पर ही 6 साल उम्र तक रहता है, इसको लेकर उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविकाओं द्वारा बच्चों को टीएचआर मापदंड के अनुकूल वितरण कराने पर जोर दिया। वहीं सीडीपीओ चंचला कुमारी ने कहा कि परियोजना के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण सेवाओं और पूरक आहार प्रथाओं को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा। वहीं बीडीओ अंतिमा कुमारी ने बताया कि आज के भागम-भाग भरी जिंदगी के कारण लोग अपने बच्चों के खानपान व आहार का सही तरीके से ध्यान नहीं रख पा रहे हैं, जिससे बच्चों का सही से हार्मोन क्रिएट नहीं हो पा रहा है। वहीं सीडीपीओ चंचला कुमारी ने कहा कि बच्चों का सही विकास के लिए उनके भोजन में हरी साग-सब्जी, नींबू एवं पपीता आदि को शामिल करना होगा। उन्होंने पपीता के विशेष उपयोग पर बल देते हुए कहा कि हर लोगों को अपने घरों में पपीता का पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। वहीं उन्होंने बच्चों को मोबाइल एवं टीवी दिखाकर भोजन कराने की पद्धति को गलत ठहराते हुए इसके विभिन्न दुष्प्रभावों को बताया। इसके साथ ही उन्होंने अपने बच्चों को बाहरी आहार जैसे फास्ट फूड, बिस्किट, कुरकुरे आदि से दूर रखते हुए दाल, हरी सब्जी सहित अन्य पौष्टिक आहार की ओर प्रेरित करने पर बल दिया। वहीं इस मौके प्रखंड मुखिया संघ अध्यक्ष सह मझगांय-डरपा पंचायत के मुखिया मृत्युंजय कुमार, हरचंडी-अमहारा पंचायत के मुखिया भैरो सिंह कुशवाहा, धौनी-बामदेव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मिथिलेश कुमार उर्फ टिंकू सिंह, पंचायत समिति सदस्य नीलेश प्रसाद सहित अन्य पंचायती राज प्रतिनिधियों ने भी इस परियोजना की सराहना करते हुए इसे पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस दौरान मुखिया संघ अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार ने बताया कि कुपोषण को जनजागृति के साथ-साथ घर-परिवार से लेकर आंगनबाड़ी केंद्र तक सशक्त करने के बाद ही दूर किया जा सकता है, इसके लिए बच्चों के खानपान व आहार पर विशेष ध्यान उनके अभिभावकों को रखना होगा। वहीं इस मौके पर बीडीओ अंतिमा कुमारी, प्रमुख रूबी कुमारी, उप प्रमुख गुड्डू राजा, सीडीपीओ चंचला कुमारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरविंद कुमार सिंह, मनरेगा पीओ धर्मेंद्र कुमार, रजौन सीएचसी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ब्रजेश कुमार, हेल्थ मैनेजर अल्पना, बीसीएम विष्णुदेव कापरी, आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका एवं प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य कर्मी के अलावे काफी संख्या में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि आदि उपस्थित थे।
रिपोर्ट केआर राव
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