इलाज के अभाव में दो साल से जंजीर में कैद है संतोष

इलाज के अभाव में दो साल से जंजीर में कैद है संतोष

 बांका:मां अपने बेटे को जान से अधिक प्यार करती है।लेकिन गरीबी ने एक मां को इतना बेबस कर दिया है।वह अपने बेटे को इस कपकपाती ठंड में भी खुले आसमान के नीचे लोहे की जंजीर और तालों में जकड़ कर रखने को मजबूर है। यह परिवार कही गांव देहात का नही बल्कि प्रखंड मुख्यालय के 20 मीटर की दूरी पर उच्च विद्यालय मैदान के पास वार्ड 7 के महादलित टोले की है।जहां की निवासी गणेश तुरी का पुत्र संतोष तुरी कई बर्षो से इसी प्रकार विक्षिप्त हालत में जंजीरों से जकड़ कर रखा गया है।उसका परिवार गरीबी के कारण जहां तक संभव हुआ उसका इलाज भी करा चुका है।पर दो जून मजदूरी करने वाला परिवार अपने परिवार के अन्य लोगो का पेट भरे या विक्षिप्त पुत्र का इलाज कराए। ऐसे में उस विक्षिप्त संतोष को जंजीरों में जकड़ा रहना पड़ता है।परिवार के लोग बताते है कि सभी को इसकी जानकारी होने के बाबजूद कोई सहायता नही मिल रही है। ऐसे में लाचार परिवार के पास दूसरा कोई उपाय नही नही है।खुला छोड़ने पर किसी के साथ कुछ कर नही बैठे।या खुद उसके साथ कोई हादसा न हो जाय इसलिए उसे जकड़ कर रखा जाता है।इस भीषण ठंड में भी वह खुले आसमान के नीचे किसी प्रकार रह रहा है।परिवार के लोग भोजन के नाम पर कुछ न कुछ उसे खाने को दे देते है।उस परिवार को सरकारी सहायता का इंतजार है। जिससे वह अपने बेटे का इलाज करा सके।इस परिवार के लिए एक तरफ संतोष की बीमारी और दूसरी ओर गरीबी भी अभिशाप बन कर उसके माता पिता को अपने बेटे की इस दर्दनाक जिंदगी को देखने के लिए जीवित रखा है।



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