भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस या महज़ औपचारिकता? – डीटीओ कार्यालय में औचक निरीक्षण से उपजे कई सवाल

भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस या महज़ औपचारिकता? – डीटीओ कार्यालय में औचक निरीक्षण से उपजे कई सवाल


बेतिया, 17 जून। जिला पदाधिकारी  धर्मेन्द्र कुमार द्वारा जिला परिवहन कार्यालय, बेतिया का 16 जून की संध्या को किया गया औचक निरीक्षण जहाँ एक ओर प्रशासनिक सक्रियता का उदाहरण पेश करता है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करता है कि वर्षों से अनियमितता की शिकायतों के बावजूद अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

जिला परिवहन कार्यालय में वर्ष 2018 से पदस्थापित लिपिक संजय राव को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित कर भूमि सुधार कार्यालय, बगहा भेजा गया। क्या छह वर्षों तक एक ही कार्यालय में पदस्थापित रहना नियमानुसार था? यदि नहीं, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है कि इतने लंबे समय तक प्रशासन ने आँखें मूँदी रखीं?

इसी तरह, होमगार्ड महेश सिंह दो वर्षों से बिना रोस्टर ड्यूटी समाप्त किए जिला परिवहन कार्यालय में कार्यरत पाए गए। यह स्पष्ट रूप से गृह रक्षा वाहिनी की लचर निगरानी को दर्शाता है। ऐसे में केवल रोस्टर समाप्त करने का निर्देश पर्याप्त नहीं लगता – जवाबदेही तय करना अधिक आवश्यक है।

मोटरयान निरीक्षक (MVI) एवं अन्य कर्मियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि के बाद त्रिसदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। हालांकि, यह भी सोचने वाली बात है कि यदि लोक साक्षात्कार एवं अन्य माध्यमों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं, तो प्रशासन ने पहले कोई पूर्वगामी कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही नहीं?

जिलाधिकारी का "ज़ीरो टॉलरेंस" पर ज़ोर निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत है, परंतु जब तक इन अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर जवाबदेही तय नहीं की जाती, तब तक यह कवायद सिर्फ काग़ज़ी प्रतीत होगी।

सवाल यह भी उठता है कि क्या यह निरीक्षण एक विशिष्ट कारण या दबाव का परिणाम था, या यह प्रशासनिक सतर्कता का हिस्सा?

निरीक्षण के समय प्रशासन के उच्च अधिकारी मौके पर मौजूद रहे, परंतु क्या इनकी उपस्थिति से भी उन अनियमितताओं पर पहले रोक नहीं लगाई जा सकती थी?

यह समय है कि ज़िला प्रशासन सिर्फ निरीक्षण तक सीमित न रहे, बल्कि भ्रष्टाचार में लिप्त हर व्यक्ति की पहचान कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करे और जनता में भरोसा बहाल करे कि “ज़ीरो टॉलरेंस” कोई नारा नहीं, बल्कि एक ठोस नीति है।

– चम्पारण नीति,  संवाददाता


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