(देवराजी महतो/चम्पारण नीति)
26 सितम्बर,दोन। दोन क्षेत्र में वोट बहिष्कार आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। आज हट्टी माता के प्रांगण में जनसैलाब गोलबंद हुआ, जिसकी अध्यक्षता महिला अध्यक्षा शिवकुमारी देवी ने की।
सभा को संबोधित करते हुए शिवकुमारी देवी ने कवि गोपाल सिंह नेपाली की पंक्तियों का आह्वान करते हुए कहा –
"तू चिंगारी बन के उड़ री जाग जाग मैं ज्वाला बानू,
तू बनजा हहराती गंगा, मैं झेलम बेहाल बानू।
आज बसंती चोला तेरा, मैं भी सज लू लाल बानू,
तू भगनी बन क्रांति करली, मैं भाई विकराल बनू।।"
उन्होंने जनता से आह्वान किया कि जिस प्रकार आजादी की लड़ाई में स्त्रियों ने मोर्चा संभाला था, उसी प्रकार आज अधिकारों की लड़ाई में भी महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाएंगी।
इसी क्रम में कुमारी देवी ग्राम बनकटवा ने कहा कि इस बार महिलाएं पूरी तरह कमर कस चुकी हैं। उन्होंने 1857 की क्रांति का उदाहरण देते हुए झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता को याद किया और कहा –
"चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुंह से हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी।।"
बैठक में गीता देवी, राजधारी महतो, रामकृष्ण काजी, परमेश्वर काजी, महेन्द्र महतो, जितेंद्र उरांव, प्रतापचंद्र काजी, रोहित महतो, राजेंद्र महतो, दीपक पावे, चन्दन महतो, मुक्तिनाथ प्रसाद, मोहन महतो, शीतल महतो, काशी महतो, बैजनाथ महतो सहित बत्तीस गांवों के गुमास्ताओं ने भी अपने विचार रखे और वोट बहिष्कार के संकल्प को दोहराया।
सभा का संचालन चंदेश्वर महतो ने किया।
इस जनसभा ने स्पष्ट संदेश दिया कि जब तक दोन क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक आंदोलन और वोट बहिष्कार जारी रहेगा।



0 Comments
आप सभी हमें अपना कॉमेंट / संदेश भेज सकते हैं...